पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२५२

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१९४ परमार्थसे पान [ Part I Ch. 5 23. ON THE FREEDOM OF INTOXICATION THROUGH GOD-LOVE, है हमन हैं इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या । रहै आज़ाद या जग में, हमन दुनिया से यारी क्या जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर व दर फिरते । हमारा यार है हम में, हमन को इन्तज़ारी क्या 11 2 11 ॥ २ ॥ खलक सब नाम अपने को, बहुत कर सर पटकता है । हमन हरिनाम राँचा है, हमन दुनिया से यारी क्या ॥ ३ ॥ न पल विछुड़े पिया हम से, न हम बिछुड़ें पियारे से । उन्हीं से नेह लागा है, हमन को बेकरारी क्या कवीरा इश्क का माता, दुई को दूर कर दिल से | जो चलना राह नाज़ुक है, हमन सर बोझ भारी क्या 11811 ॥५॥