पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२६०

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२०२ परमार्थसे । पान [Part I Ch. 5 27. MAULA ON THE EFACEMENT, IN ECSTACY, OF THE DISTINCTION BETWEEN SELF AND GOD. " जो पीर मेरा बड़ा औलिया, निशान बतलाया । उससे मैंने गुङ्ग होकर, अपना घर पाया पञ्चतत्व के मकान में में ही बैठा रहा । तरह तरह का रंग देख कर, बाजा सुन लिया 'ततु त्वं' शब्द का बोल बताया, होशियार मैं हुआ । नाद विन्दु की कला जानकर, हुआ बेपरवा लाल शून्य के ऊपर सफेद शून्य दिखलाया । . उस पर काला तीसर शून्य सुपुप्ति कहलाया चौथे शून्य का बड़ा उजियारा, गुरु ने बतलाया। उन्मनि मैंने साँइ जगाया, उसे समुझि लिया आनन्द नहाया बन्दा खुदा, दोनो विसर गया । वेनाम का नाम होकर, रहटाना राहा और भी यह समुझि ले, पूर्णब्रह्म कैसोई । 11 2 11 ॥ २ ॥ ॥ ३ ॥ 11811 ॥५॥ 11 & 11 समझे लाल सफेद पर काला, जो देखे नीला सोई ॥ ७ ॥ कहे मौलाई समुझि ले, जो मुरशिद को पाई । प्याला लेवे जाने वाहिद, जान पाई ॥ ८ ॥