पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३१५

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Dohas 16-18] Pilgrimage २५७ (१६) अनुवाद. कँकड़ पत्थर जोड़कर मस्ज़िद उठवा ली । उस पर चढ़कर मुल्ला बाँग देता है । क्या खुदा बहरा होगया है ? एंजिन की सीटी अजान से भी विलकुल बेडर हैं, जिसको सुनकर शेख अपनी छाती पीटने लगा है । 1 ब्राह्मण से गदहा भला है, देव से कुत्ता भला है, मुल्ला से मुरगा भला है, जो सोते हुए लोगों को जगाता है। (१७) अनुवाद. माला तो कर में फिरती है, जीभ मुख में फिरती है, और मन दसों दिशाओं में फिर रहा है । यह स्मरण नहीं कहलाता । (१८) अनुवाद. रहीम, तू अपने मन को चारु चकोर बना जिससे वह निशि - वासर श्रीकृष्णचन्द्र की ओर लगा रहे ।