पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३२२

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દૃષ્ટ परमार्थसोपान : [Part Ii Ch. 28. THOU ART THE SOLE RESORT FOR ME, O GOD ! AS THE LAKE FOR A FISH. सर मूर्खे पछी उड़े, औरन सरन समाहिं । दीन मीन बिन पच्छ के, कह रहीम कहँ जाहि ॥ 29. SUPPLICATION TO GOD TO SAVE FROM IMMINENT DANGER. बार वरावर वारि है, ता पर बहैं बयार । रघुवर पार उतार, हमरी ओर निहार ॥