पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३४०

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ટેર परमार्थसोपान [ Part iI Ch. 5 22. TO DISCOVER GOD IS TO BE LOST IN HIM. पिय को हेरन मैं गई, हेरत गई हेराय । पिय को पहिचाना नहीं, पिय घट में गया समाय ॥ 23. " STOP A WHILE, O KABIR!" SAYS GOD; KABIR LISTENS NOT AND MOVES ON. मनुवा मेरो मरि गयो, दुर्बल भयो शरीर । पीछे पीछे हरि फिरें, कहत कबीर कवीर ॥ 24. KABIR HAS TOUCHED GOD; HE HAS ATTAINED TO ONLY A FRAGMENT OF EXPERIENCE. कविरा देखा एक अंग, महिमा कही न जाय । तेजपुञ्च परसाधनी, नैनों रहा समाय ॥