पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३४५

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Dohas 28-30] Ascent ૨૮૭ (२८) अनुवाद. रहीम कहते हैं कि अगम्य की बात कहने सुनने की नहीं । जो जानते हैं, वे कहते नहीं; जो कहते हैं, वे जानते नहीं । कवीर कहते हैं कि जब हम गाते थे, तब गुरु को नहीं जाना था | अब गुरु को हृदय में देख लिया, तब गाने को कुछ नहीं रहा । (२९) अनुवाद. बड़े ( अपनी ) बड़ाई नहीं करते । बड़े बोल नहीं बोलते । रहीम कहते हैं कि हीरा कब कहता है कि मेरा मोल लाख (टका ) है | (३०) अनुवाद. कबीर बाज़ार में खड़ा है और दोनों धर्मों का क्षेम चाहता है। न किसी से उसकी दोस्ती है और न किसी से वैर है ।