पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/४६२

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112 परमार्थसोपान - टिप्पणी [ Part II Chap. V उजास = उजाला - Light; illumination. सुखकरि सूती ( == == सुख करके, सुख से । सो गयी ) - Past tense, (f.) . Goes with जीवात्मा ( / ) understood. वास ( m. as in Marathi ) – Kabir, however, seems to take it as f. फूटी वास - cf. " गन्धः शुभो मूत्रपुरीषमल्पम् । योगप्रवृत्तिं प्रथमां वदन्ति ॥ - श्वेताश्वतरोपनिषत् वाणी फूटी वास - Speech became fragrant of सुगंधवार्ता in Maharaj of Umadi. 19 ef. " नीहारशुक्रवत् तन्वी पीता भास्वत्यणूपमा । ज्योत = ज्योति । ज्योति b अभिनिष्पद्यते । - नारायणोपनिषत् । पुरुष ef ( १ ) " परञ्जयोतिरूपसम्पद्य स्वेन रूपेण " - ( २ ) प्रथम प्रकाश चांदणें होईल । तयावरी दाटेल महातेज । तया तेजामाजी जीवभाव राहे । निर्विकल्प होय सदोदित || " बलिहार = बलिहारी । निरालम्ब = - रामदास । Supportless of आलम्बन = सहारा, आश्रय; e.g. आलम्बन विभाव in अलंकार शास्त्र as differentiated from उद्दीपन विभाव. 20 लागी occurs four times in this Doha. The first two are verbs, the other two nouns. वलाय = भूत बाधा Or संचार | आर पार ( Sk. आर = इस ओर का किनारा; पार = दूसरा किनारा ) cf. " आरे पारे जो रहे । कबीर