पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/४८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

महात्मा गोरखनाथ १३. तथा १५२ पृष्ठोंपर हैं। इनकी रचना में भक्ति प्रगाढ़ता के परमोच्च भाव मिलते हैं । आप का महात्मा रैदास की शिष्या होना कहा जाता है । यदि यह बात सत्य हो, तो रैदास के अतिरिक्त महात्मा रामानन्द के भी दीर्घजीवी होने का अनुमान दृढ़ होता है। मीराबाई की रचना में काव्योत्कर्ष अच्छा मिलता है । ( ७ ) महात्मा गोरखनाथ महात्मा गोरखनाथ पूर्ण ऋषि और बड़े सिद्ध करामती हो गये है इन का समय सं. १४०७ खोज में लिखा है। राहुल सांकृत्यायन जी इन के दादा गुरु जालंधर पादका समय लगभग ९२५ बतलाते हैं । गोरखनाथजीका समय दशवी शताब्दी संवतसे चौदहवी शताब्दी तक कभीहो सकता है । यनसाइक्लोपीडिया वृटैनिका बारहवीं शताब्दी ईसवी बदलता है । बारहवीं शताब्दीवाले आल्हा ऊदलके यह गुरु कहे गये हैं। नवी दशवीं शताब्दी के सिद्धों में भी इनके गुरु, मछन्दरनाथ तथा इनके नाम हैं । समझ पड़ता है कि मुछका ( मस्येन्द्र ) नाथ और गोरखनाथके गुरु शिष्यवाले एकाधिक जोड़े थे । आपके नौ संस्कृत के ग्रन्थ हैं। आप शैव थे। इनका मन्दिर गोरखपूर में है जिसमें आप देवतावों की भांति पूजते हैं । आपने गोरखपन्थचलाया, जिसके लाखों अनुयायी अब भी हैं। इनका एक गद्य ग्रन्थ हिन्दी का भी मिला है अतः हमारे सबसे पहले गद्यलेखक आपही थे । इनकी भाषा न तो खुसरो की सी प्रांजल है, न रोज़ना बोल -: चालकी; फिर भी उसमें सौंदर्य तथा हिन्दी पन की अच्छी झलक है | देशाटनो के कारण सन्तो की भाषा में प्रान्तिक शब्द आजाते थे ।