पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/४८७

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धरमदास (८) धरमदास १५ धरमदासजी कसौंधन बनिया कवरदासके शिष्य थे। इन्होंने " कवरिके द्वादश ग्रन्थ, " निर्णयज्ञान और कबीरवानी नामक तीन ग्रन्थ बनाये । सं. १५९५ में आप कबीरदास की गद्दी के अधिकारी हुये । आप वांधवगढ़ के वैश्य तथा सदासे सन्त प्रकृति के मनुष्य थे । शिष्य होनेपर आपने अपना सारा मालमत्ता लुटा दिया यद्यपि थे आप धनी । आपकी रचना खंडन मंडन से पृथक् है । वह प्रेमपूर्ण होकर भक्ति प्रदायिनी है । पूर्वी 'भाषा' पसन्द करते हैं । अन्दाजी जन्म मरणकाल सं. १५०० और १६०९ हैं । इनकी रचना ग्रन्थ के १६० वें पृष्ठ पर है । (९) महात्मा चरणदास महात्मा चरणदास ने सं. १५३१ में ज्ञानसर्वोदय नामक एक ग्रन्थ बनाया। तीन और चरणदासों के नाम सं. ११६०, १५१०, तथा १९४९ से पूर्ववाले समयों में हैं। इनके चार उदाहरण ग्रन्थ में पृष्ठ ४०, १६६, ११४, और ११६ पर हैं । (१०) श्री दादू दयाल, श्री दादू दयालजी के ग्रन्थके पांच उदाहरण पृष्ठ ३६, ८६, १२८, १४६ और १८८ पर हैं । इनका जन्म अहमदाबाद में सं. १६०१ में हुवा