पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/४९२

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२० परमार्थ सोपान (१७) मौला मौला का उदाहरण पृष्ठ २०२ पर है । इन का रचनाकाल अज्ञात है । धार्मिक उपदेशक थे । ( १८ ) गुलाल.

गुलाल का उदाहरण पृष्ठ २०६ पर है । गुलाल साहब क्षत्रिय वसरिहर जिला गाजीपुर निवासी, सं. १९१९ में थे । प्रथम त्रैवार्षिक रिपोर्ट में आपका ग्रन्थ वानी मिला है । आप मुल्लासाहब के "" " चेले थे । इन की रचना का एक उदाहरण यहां भी लिखा जाता है । जो पै साँचि लगन हिय आवै । कांटे सकल काम के अन्दर आनन्द पुर घर छावै ॥ पांच पचीसाने वस करि कै सुखमन सेज विछावै । सुरत सोहागिनि उठे गगन मुख, तब चन्दा दरसावै ॥ मूल चक्र गरि कै दृढ़ बांध, वंकनाल चढ़ि घावै । अविगत सो यह खेल बनो है, आवा गवन नसावै ॥ रीझिरीझि दसहं दिसी पूजै, परब्रह्म समावै । जन गोपाल कहें प्यारी पियकी; रहसि गुन गावै ॥ • (१९) तुलसी पत्नी तुलसी पत्नी प्रसिद्ध महात्मा तुलसीदास की धर्मपत्नी थीं । इतने समीप का सम्बन्ध रख कर भी ये स्वपति की महत्ता पहिचान न सकीं, और अपने शारीरिक सौन्दर्य के कारण उन के महान् प्रेम .: को केवल इन्द्रिय जन्यः समझ कर उन्हे गृहत्याग का कटु-उपदेश दे बैठीं, जिस से इन्हें यावज्जीवन का वियोग मिला और संसार को महाकवि और महोपदेशक । इनके नाम से लिखा हुवा एक ग्रन्थ भी