पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/६४

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परमार्थसोपान [ Part I Ch. 1 ६ 3. THE SLEEP OF IGNORANCE. मुसाफिर सोता है वेहोस । नैन में भरा नींद का रोस || टे ॥ पूँजी पास बहुत तू लाया । इस नगरी में जब तू आया । कहीं न ठग ले जावे, खोंस ॥ १ ॥ जिस कारज को जो तू आया । सौदा वह कछु कर ना पाया । यही बड़ा अफ़सोस । झूठे सुख की निंदिया सोया । विना विचार माल सब खोया । दीजै सबको दोस ॥ २ ॥ ॥ ३ ॥ कृष्णानन्द जान लो हरिको । जाना है जो अपने घर को । प्रभुपद कर सन्तोस ॥ ४ ॥