पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/६८

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१० परमार्थसोपान [ Part I Ch. 1 5. CONTRADICTIONS OF DESERT AND FRUIT. ऊधो धनि तुम्हरो वेवहार ॥ टे ॥ धनि वै ठाकुर धनि वै सेवक, धनि तुम वर्तन - हार ॥ १ ॥ आम कटावत ववुर लगावत, चन्दन झोंकत भार ॥२॥ चोर बसावत साह भगावत, चुगलनि कौं एतबार ॥३॥ समुझि न परति तिहारी ऊधो, हम व्रजनारि गँवार 11811 सूरदास धनि तुम्हरि कचेरी, अंधाधुंध दरवार ॥५॥