पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/७४

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401120 १६ मार्थसोपान [ Part 1 CH. i 8. TULSIDAS ON THE EFFECTS OF OLD AGE: ममता तूं न गई मेरे मन तें ॥ दे ॥ पाके केस जनमके साथी, लाज गई लोकन ते || 2 11 तन थाके, कर कम्पन लागे, ज्योति गई नयनन तें ॥२॥ सरवन वचन न सुनत काहु के, बल गये सब इन्द्रिन तें 113 11 टूटे दसन वचन नहिं आवत, सोभा गई मुखन तें 11811. कफ पित बात कण्ठ पर बैठे, सुतहि बुलावत कर तें 114 11 भाइ बन्धु सब परम पियारे, नारि निकारत घर तें ॥६॥ जैसे शशिमण्डल विच स्याही, ॥ ७ ॥ छुटै न कोटि जतन तें तुलसिदास बलि जाउँ चरन तें, लोभ पराए धन तें ॥ ८ ॥