पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/८१

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Pada 11] Incentives. २३ (११) अनुवाद. इस देश में फिर आना नहीं है । जो गये हैं फिर नहीं आये । सन्देश भी नहीं भेजते । सुर, नर, मुनि, पीर, औलिया, देवी, देव, गणेश, ब्रह्मा, विष्णु और महेश सभी जन्म धर धरकर भटके हैं। योगी, जंगम और संन्यासी, दिगम्बर, दरवेश, चुण्डित, मुण्डित, और पण्डित लोग, स्वर्ग, रसातल, इत्यादि लोकों के रहने वाले, ज्ञानी, गुणी, कवि, और चतुर, लोग राजा, रंक और नरेश ( सभी भटके हैं ) । कोई राम, कोई रहीम बखानते हैं और कोई आदेश कहते हैं । नाना भेष बनाकर सभी चारों दिशाओं में ढूँढ़ते फिरते हैं। कबीर कहते हैं कि विना सद्गुरु-उपदेश के अन्त नहीं पाओगे |