पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/८३

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Pada 12] Incentives. (१२) अनुवाद. ए पागल मन ! भजन के विना दुख पाओगे । पहिला जन्म भूत का पाओगे और सात जन्मों तक पछताओगे । वहाँ केवल काँटे पर का पानी पाओगे, जिससे प्यासे ही मर जाओगे | दूसरा जन्म सुए का पाओगे और बागमें बसेरा लोगे । बाज़ के मँडराने पर पंख टूट जाने से आधे में ही फड़फड़ाकर प्राण गँवा दोगे । बाजीगर के बन्दर होगे, लकड़ियों से नाच नचाये जाओगे । ऊँच नीच के सामने हाथ पसारोगे और माँगने पर भी भीख नहीं पाओगे | तेली के घर बैल बनोगे और आँखों को ढाँप से ढँपाओगे । घर में ही पचास कोस चलोगे; लेकिन बाहर नहीं होने पाओगे । पाँचवाँ जन्म ऊँट का पाओगे, विना तौल बोझ ( अपने ऊपर) लदाओगे, बैठकर उठ नहीं पाओगे और खुरच खुरच कर मर जाओगे । धोवी के घर का गदहा होगे, वहाँ सूखी घास भी नहीं पाओगे; लादी लादकर स्वयं भी लादीपर बैठने वाले धोवी को लेकर घाट पर पहुंचाओगे । पक्षियों में कौवा होगे और करर करर चिल्लाओगे, उड़कर मैले स्थल पर जाकर बैठोगे और चोंच को बहुत गहरी घुसाओगे । कवीर कहते हैं, हे साधो, सतनाम की खोज नहीं करोगे तो, मन ही मन पछताओगे और ( अन्त में ) नरक की नसेनी पाओगे । २५