पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/८५

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Pada 131 Incentives. २७ (१३) अनुवाद. कर्म की गति टालने से भी नहीं टलती । मुनि वशिष्ठ सदृश ज्ञानी पण्डित ने शोध कर लग्न रक्खी थी; फिर भी सीता का हरण और दशरथ का मरण हुआ और वन में विपत्ति पड़ी । कहाँ वह फन्दा था, कहाँ वह पारधि था और कहाँ वह मृग चरता था । नित्य कोटि गायों का दान करने वाले नृग को गिरगिट की योनि मिली । जिन पाण्डवों के आप ( कृष्ण ) ही सारथी थे, उन पर विपत्ति पड़ी। कबीर कहते हैं, कि होनि होके ही रहती है ।