पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/९१

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Pada 1] Moral Preparation. (१) अनुवाद. रे मन, जिन के संग से कुबुद्धि उपजती है और भजन में भंग पड़ता है, उन हरिविमुखों का संग छोड़ दे । भुजंग को दूध पिलाने से क्या लाभ? वह अपना विप नहीं छोड़ता । कौवे को कपूर चुगाने से क्या ? कुत्ते को गंगा में नहलाने से क्या ? गदहे को अरगजा लेपन से क्या ? बन्दर के अंगों पर भूषण पहिनाने से क्या ? हाथी को सरिता में नहलाने से क्या ? वह फिर अपने अंग पर धूल ही धारण करता है । वाण पतित पापाण को नहीं बेधता ( चाहे ) निपंग खाली कर दिया जाय । सूरदास कहते हैं, कि खल काली कामरी है, उस पर दूसरा रंग नहीं चढ़ सकता । २०. ३३