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पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/१५२

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रोम में गोत्र और राज्य रोम की स्थापना के विषय में जिस कथा को परम्परा है, उसके अनुसार वहा पहली वस्ती कतिपय लैटिन गोत्रो ने बसायी थी ( कथा में उनकी सख्या सौ वतायी गयी है), जो एक कबीले में संयुक्त थे। उसके बाद शीघ्र ही एक सैबीलियन कबीला वहा आकर रहने लगा। उसमे भी सौ गोन थे। अन्त में एक तीसरा कबीला भी, जिसमे भिन्न-भिन्न प्रकार के तत्त्व शामिल थे, आकर उन लोगों के साथ रहने लगा और इसमे भी सौ गोत्र थे। इस पूरी कथा पर पहली नज़र डालते ही यह बात बिलकुल साफ हो जाती है कि यहां गोन के सिवा शायद ही किसी चीज को प्राकृतिक उपज माना जा सकता है, और खुद गोत्न भी प्रायः एक मातृ-गोत्र की शाखा होता था और यह मातृ-गोन अभी भी पुराने निवाम-स्थान में मौजूद होता था। कबीलो में उनके कृत्रिम रूप से गठित होने के चिन्ह मौज्द थे, फिर भी अधिकतर उनमें ऐसे तत्त्व शामिल थे जो एक दूसरे के रक्त-सम्बन्धी होते थे और उन्हे पुराने दिनो के उन कबीलो के नमूने पर गठिन किया गया था, जिनको वनावटी ढंग से नहीं बनाया गया था, बल्कि जिनका स्वाभाविक विकास हुया था। यह असम्भव नहीं है कि इन तीन कबीलो में से हर एक के केन्द्र में कोई-न-कोई पुराना प्राकृतिक कबीला रहा हो। कबीले तथा गोत्र के बीच की कड़ी विरादरी थी, जिममें दम गोत्र होते थे और वह यहा क्यूरिया (curia) कहलाती थी। प्रतएव उनकी कुल संख्या तीम थी। इसे मब मानते है कि रोमवामियो का गोत्र और यूनानियो का गोत्र , दोनो एक ही प्रकार की सस्था ये। यदि यूनानियों का गोत्र उमी सामाजिर इकाई का मिलमिला था, जिमका प्रादिम रूप हमें अमरीका के इडियनी के यहा दयने को मिलता है , तो जाहिर है कि रोमन गोत्र के यार में १५४