घिरोको- उत्तरी अमरीका का एक रेड इंडियन कबीला।- ११६ चेरफासियन- उत्तर-पश्चिमी फाकेशिया की प्रादिम पहाडी जातियो (मादिगे, चरकेमियन मोर कवारदीन) का समूह । १६८ टस्करोरा- इरोस्या गमूह के उत्तरी प्रमरीकी रेट इंडियनी का एक कबीला । -१११ टिनेह-उतरी ममरीकी रेड इडियन कवीलो का एक समूह , जो पश्चिमी कनाडा तथा पाभ्यन्तर मलास्का में और प्रशान्त महासागर के तट पर केनाई प्रायद्वीप (दक्षिणी अलास्का ) पर रहता था।- ४६ टॅक्टेर-राइन के दायें मौर निचले भागों में रहनेवाला एक जर्मन कबीला। पहली ई० पू० के मध्य में वह बायें तट पर वम गया, लेकिन रोमनो से हारने के बाद फिर दायें तट पर सौट गया: १८ ट्यूटन-प्राचीन काल में मुटलण्ड प्रायद्वीप और एल्बा के निचले मागों में रहनेयाले जर्मन कयीलों का समूह । दूसरी सदी ई० पू० के अन्त में गिम्बरियों के माय वह भी दक्षिणी यूरोप में जाकर यगने लगा , जहा रोमनी से हारने के बाद मास , माइन और नेककर नदियों के इलाके मे विखर गया।- १७४ ठाकुर- उत्तर प्रदेश (भारत) के प्रवघ इलाके को एक प्रब्रह्माण्य जाति ।- रेलायेपर-उत्तरी अमरीका का एक रेड इंडियन कबीला, जो सत्रह्वी सदी के प्रारंभ तक डेलावेयर नदी और हडमन नदी के निचले भाग से लगे इलाके ( वर्तमान न्यूजर्सी, डेलावेयर, न्यूयार्क और पेंमिल्वेनिया राज्यों के क्षेत्र ) में रहता था। |-७१ डकोटा-उत्तरी प्रमरोको रेड इण्डियनों के कबीलों का एक समूह ।- ११२, ११८ होरियन - प्राचीन यूनानी कबीलों का एक मुख्य समूह , जो बारहवी-दसवी सदी ई० पू० में पेलेपोनेशियाई प्रायद्वीप और एजीयन सागर के दक्षिणी द्वीपों पर रहता था।-७६, १२६ ताइफल-गीयो से सम्बन्धित जर्मन कबीला, जो तीसरी सदी तक काले सागर के तटवर्ती उत्तरी इताकों में बस गया था। वहां से चौथी सदी के उत्तरार्ध में हूणों ने उसे निकाल दिया।-८७ तामिल-द्रविड़ जाति का एक वर्ग, जो आजकल भारत के धुर दक्षिण- पूर्वी हिस्से मे रहता है। - ३८
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