पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/३२

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- गोलायों में मानर-विराग की विभिन्न प्रयम्यापो की मीमापो यी विपाएं सारी उपलब्धियां पाई जाती है। जिस प्रकार लोहे की तलवार बर्बर युग के लिये और आग्नेयास्त्र सभ्यता के युग के लिये निर्णायक अस्त्र सिद्ध हुए, उसी प्रकार जागल युग के लिये धनुष-बाण निर्णायक अस्त्र सिद्ध हुआ २. बर्बर युग १. निम्न अवस्था। यह अवस्था मिट्टी के बर्तनों के प्रचलन से प्रारम्भ होती है। मिट्टी के वर्तन बनाने की कला की शुरूपात अनेक जगहो पर प्रत्यक्षत: इस तरह हुई, और शायद सब जगह इसी तरह हुई होगी, कि टोकरियो तथा लकड़ी के बर्तनो को आग से बचाने के लिये उन पर मिट्टी का लेप चढ़ा दिया जाता था। तब जल्द ही यह पता चल गया कि अन्दर का वर्तन निकाल लेने पर भी मिट्टी के साचे से वही काम चल सकता है । हम मान सकते हैं कि यहा तक , एक निश्चित काल तक मानव-विकाम का क्रम सभी लोगो मे एक-सा पाया जाता है और प्रदेश चाहे जो रहा हो, उससे इसमें कोई अन्तर नही पडता। परन्तु वर्वर युग में प्रवेश करने के माथ हम एक ऐमी अवस्था में पहुच जाते है जिसमे दोनों बड़े महाद्वीपी यो प्राकृतिक देनो का अन्तर अपना प्रभाव दिखाने लगता है। चर्बर युग की विशेषता है लन और प्रजनन तथा कृपि । अब पूर्वी महाद्वीप में, जिसे पुरानी दुनिया भी कहा जाता था, पालने के योग्य लगभग सभी पशु और एक को छोड़कर उगाने के योग्य वाकी सभी अन्न उपलब्ध थे, जर्षि पश्चिमी महादीप, यानी अमरीका में, और वह भी केवल दक्षिण के एक हिस्से में पालने के लायक केवल एक पशु था, जिसे लामा कहते है, और उगाने के योग्य फेवल एक अन्न , यानी मका था, पर यह पन्नों में सर्वश्रेष्ठ पा। इन भिन्न प्रारतिर परिस्थितियों का यह प्रभाव पड़ा कि इस रात में गोला यो मापने मन-प्रलग रास्ते चली, और दो भी प्रनग-अलग हो गयी। २. मध्यम प्रयाया। यह प्रयग्या पूर्व में पशु गायन गे शुरू होती है। पोर पश्चिम में पानं मार पौधों की सिंचाई रिय गंती और मान बाने २ मिरे था में गुगायी गयी नीटी तया परपर में प्रपोग में मरही है। २२