. पहले हम पश्चिम को लेंगे, क्योंकि यूरोपीय विजय तक, अमरीकी लोग कही भी इस अवस्था से आगे नहीं बढ सके थे। इडियनो का जिम समय पता चला , उस समय ये बर्वर युग की निम्न यवस्था में थे (मिसीसिपी नदी के पूर्व में रहनेवाले सभी प्रादिवासी इसी अवस्था मे थे), और कुछ हद तक मक्का को, और शायद कद्दू, खरबूज़ो तथा अन्य तरकारियो आदि की खेती करने लगे थे। इनसे ही उन्हें अपने आहार का मुख्य भाग प्राप्त होता था। ये लोग वाड़ो से घिरे गांवों में लकडी के मकानो में रहते थे। उत्तर-पश्चिम के कवीले , विशेषकर कोलम्बिया नदी के प्रदेश में रहनेवाले कवीले , अभी जांगल युग की उन्नत अवस्था में ही पड़े हुए थे। वे न तो मिट्टी के बर्तन बनाना जानते थे, और न किसी तरह के पौधे उगाना। दूसरी ओर, न्यू-मैक्मिको के तथाकथित पुएब्लो इंडियन लोग 15, मैक्सिको के निवासी, मध्य अमरीका के और पेरू के निवासी यूरोपीय विजय के समय बर्बर युग की मध्यम अवस्था मे थे। ये लोग कच्ची ईटों या पत्थरों के बने किले जैसे मकानों में रहते थे और बगीचे वनाकर और उन्हे खुद सोचकर मक्का को, और स्थान तथा जलवायु के अनुसार, खाने योग्य अन्य पौधों की खेती करते थे, जिनसे ही मुख्यतः उन्हे भोजन मिलता था ; उन्होंने कुछ पशुओ तक को पालतू बना लिया था, जैसे मैक्सिको के लोग टर्की और दूसरे पक्षियो को पालते थे, पेरू के लोग लामा को पालते थे। इसके अलावा, ये लोग धातुओ से काम लेना भी जानते थे, लेकिन लोहे से परिचित नहीं हुए थे और इस कारण अभी पत्थर के बने अस्त्रों और औजारों को नहीं छोड़ पाये थे। स्पेनियों ने इन लोगों के देश को जीतकर उनका सारा स्वतन्त्र विकास बीच मे ही रोक दिया। पूर्व में बर्बर युग को मध्यम अवस्था उस समय प्रारम्भ हुई जब लोग दूध और मास देनेवाले पशुओं का पालन करने लगे। पर मालूम होता है कि पौधों की खेती करने का ज्ञान लोगों को इस काल में बहुत समय तक नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि चौपायो को पालने और उनकी नस्ल बढ़ाने और पशुओ के बड़े-बड़े झुण्ड बनाने के कारण ही आर्य और सामी लोग बर्बर लोगों से भिन्न हो गये थे। यूरोप और एशिया के आर्य आज भी पशुमो के समान नामो का उपयोग करते है, पर कृषि योग्य पौधो के नाम आपस में प्रायः नही मिलते। तथा 3-410
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