की भाषा में, सगे या दूर के मौसेरे, चचेरे या फुफेरे भाई-बहनों के विवाह पर रोक लगा दी गयी होगी। मौर्गन के शब्दो में यह क्रिया “नमर्गिक चयन के सिद्धान्त की कार्य प्रणाली का एक अच्छा उदाहरण है।" इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है कि जिन कवीलों में इस कदम के द्वारा कुटुम्ब मे अगम्यागमन पर रोक लग गयी थी, उन्होंने अनिवार्यतः उन कबीलो के मुकाबले में कही जल्दी पौर अधिक पूर्ण विकास किया, जिनमे भाई-बहनो के बीच अन्तर्विवाह नियम था, पोर आवश्यक कर्तव्य भी। और इस कदम का कितना जबर्दस्त असर पड़ा, यह गोत्र की सस्थापना से सिद्ध होता है जो सीधे-सीधे इसी क़दम से पैदा हुई, और उसके कही आगे निकल गयी। गोत्र बर्बर युग में संसार की यदि सभी नहीं तो अधिकतर जातियों के सामाजिक संगठन का प्राधार था, यूनान तथा रोम में तो हम इससे सीधे सभ्यता के युग मे प्रवेश कर और जाते हैं। पर प्रत्येक आदिम परिवार अधिक से अधिक दो-चार पीढ़ियों तक चलकर बंट जाता था। बर्बर युग की मध्यम अवस्था के उत्तर काल तक, हर जगह बिना किसी अपवाद के, प्रादिम कुटुम्ब-समुदायो मे ही रहने का चलन था। और उसके कारण कुटुम्ब-समुदाय के प्राकार और विस्तार की एक विशेष दीर्घतम सीमा निश्चित हो जाती थी, जो परिस्थितियो के अनुसार बदलती रहती थी, परन्तु प्रत्येक स्थान मे बहुत कुछ निश्चित रहती थी। जब एक मां के बच्चो के बीच सम्भोग बुरा समझा जाने लगा, तो लाजिमी था कि इस नये विचार का पुराने कुटुम्व-समुदायों के विभाजन पर तथा नये कुटुम्व-समुदायों (Hausgemeinden) की स्थापना असर पडे (पर यह जरूरी नहीं था कि ये नये समुदाय यूथ-परिवार के एकरूप हो)। बहनो का एक अथवा अनेक समूह एक कुटुम्ब का मूल-केन्द्र बन जाते थे, जबकि उनके सगे भाई दूसरे कुटुम्ब का मूल-केन्द्र बन जाते थे। रक्तसम्बद्ध से, इस ढंग से या इससे मिलते-जुलते किसी और ढंग से, परिवार का वह रूप उत्पन्न होता जिसे मौर्गन पुनालुमान परिवार कहते है। हवाई की प्रथा के अनुसार कई बहनों के-वे सगी बहनें हो या रिश्ते की (यानी प्रथम या द्वितीय कोटि के संबंध से या और दूर के सबध से चचेरी, ममेरी, फुफेरी बहन )-कुछ समान पति होते थे, जिनकी वे समान
पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/४८
दिखावट