- $3 रूप से पलियां हुआ करती थीं। परन्तु उनके भाइयों को इस सम्बन्ध से अलग रखा जाता था, यानी वे उनके पति नहीं हो सकते थे। ये पति अब एक दूसरे को भाई नहीं कहते थे - और वास्तव में अब उनका भाई होना आवश्यक भी नहीं था बल्कि पुनालुया कहते थे, जिसका अर्थ है अन्तरंग सखा, या associé| इसी प्रकार, भाइयों का एक दल-वे सगे भाई हों या रिश्ते के-कुछ स्त्रियो के साथ विवाह-सम्बन्ध में बंधा होता या। पर ये स्त्रिया उनकी बहनें नहीं होती थी ; और ये स्त्रिया भी एक दूसरे को "पुनालुआ" कहती थी। परिवार के ढाचे (Familienformation) का यह प्राचीन रूप था; वाद मे इसमे कई परिवर्तन हुए। इस सगटन की बुनियादी विशेषता यह थी कि परिवार के एक निश्चित दायरे में पतियों और पत्नियो का एक पारस्परिक समुदाय होता था, पर पलियो के भाई- पहले सगे भाई और बाद मे रिश्ते के भाई भी- इस दायरे से अलग रखे जाते थे, और उसी प्रकार दूसरी ओर पतियों की बहनें भी इस दायरे से अलग रखी जाती थी। अमरीका मे पायी गयी रक्त-सम्बन्ध व्यवस्था से पारिवारिक सम्बन्धो की जो श्रेणिया निकलती है, उनमें से एक-एक परिवार के इस रूप में मिल जाती है। मेरी मां को बहनों के बच्चे उसके भी बच्चे रहते है, मेरे पिता के भाइयों के बच्चे उसी प्रकार मेरे पिता के बच्चे भी रहते है; और वे सब मेरे भाई-चह्न होते है। परन्तु मेरी मा के भाइयों के बच्चे अब उसके भतीजे-भतीजियां कहलाते है, मेरे पिता की बहनो के बच्चे उसके भाजे-भांजिया कहलाते है। और ये सब मेरे ममेरे या फुफेरे भाई-वहन कहलाते है। मेरी मां की बहनों के पति उसके भी पति होते है और उसी प्रकार मेरे पिता के भाइयो को पलियां उसकी भी पलिया होती है। वास्तव मे ऐसा हमेशा नहीं भी होता, तो भी सिद्धान्त मे तो ये सम्बन्ध माने ही जाते है। परन्तु भाइयों और बहनों के यौन सम्बन्ध पर सामाजिक प्रतिबंध लग जाने के फलस्वरूप अब रिश्ते के भाई-बहन , जो पहले बिना भेदभाव के भाई-बहन ही समझे जाते थे, अब दो दों में बंट गये : कुछ पहले की ही तरह (दूर के रिश्ते के) भाई-बहन ही रहे ; वाकी को, एक ओर भाइयो के बच्चों को और दूसरी ओर बहनो के बच्चों को , अब एक दूसरे के भाई-बह्न नहीं समझा जा सकता था, उनकी समान माता, समान पिता, अथवा समान माता-पिता नहीं हो सकते थे। इसलिये अब पहली बार
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