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पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/१०१

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बिगाड़ का मूल विवाद.
 


यह कह कर हरकिशोर ने तत्काल अपनी गठरी उठा ली और गुस्से में मूछों पर ताव देता चला गया.

"ये बदला लेंगे! ऐसे बदला लेनेवाले सैकड़ों झख मारते फिरते हैं” हरकिशोर के जाते ही मुन्शी चुन्नीलाल ने मदनमोहन को दिलासा देने के लिये कहा.

"जो यों किसी के बैर भाव से किसी का नुक्सान हो जाया करे तो बस संसार के काम ही बन्द हो जायें.” मास्टर शिंभूदयाल बोले.

"सूर्य चंद्रमा की तरफ़ धूल फेंकने वाले अपने ही सिर पर धूल डालते हैं” पंडित पुरुषोत्तमदास ने कहा. पर इन बातों से लाला मदनमोहन को संतोष न हुआ.

"मैं हरकिशोर को ऐसा नहीं जानता था, वह तो आज आपे से बाहर हो गए. अच्छा! अब वह नालिश कर दें तो उसकी जवाबदेही किस तरह करनी चाहिये? मैं चाहता हूं कि चाहे जितना रुपया खर्च हो जाय परन्तु हरकिशोर के पल्ले फूटी कौड़ी न पड़े.” लाला मदनमोहन ने अपने स्वभावानुसार कहा.

मदनमोहन के निकटवर्ती जानते थे कि मदनमोहन जैसे हठीले हैं वैसे ही कमहिम्मत हैं, जिस समय उनको किसी तरह की घबराट हो हरेक आदमी दिलजमई की झूठी सच्ची बातें बनाकर उनको अपने काबू पर चढ़ा सकता है और मन चाहा फ़ायदा उठा सकता है. इसलिये अब चुन्नीलाल ने वह चाल डाली.

"यह मुकद्दमा क्या चीज है! ऐसे सैकड़ों मुकद्दमें आप के पुन्य प्रताप से चुटकियों में उड़ा सकता हूंँ परन्तु इस समय मेरे