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पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/१३

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सौदागर की दुकान
 


पास आएंगे पर ये कांच हमसे पूछे बिना आप और किसी को न दें" लाला मदनमोहन ने कहा.


इस बात से सब अपने-अपने जिम्मे राजी हुए, ब्रजकिशोर ने इतना अवकाश बहुत समझा मदनमोहन के मन में हाथ से चीज निकल जाने का खटका न रहा, चुन्नीलाल और शिंभूदयाल को अपने कमीशन सही करने का समय हाथ आया और मिस्टर ब्राइट को लाला मदनमोहन की असली हालत जानने के लिये फुरसत मिली।


“बहुत अच्छा” मिस्टर ब्राइट ने जवाब दिया “लेकिन आप को फुर्सत हो तो आप एक बार यहाँ फिर भी तशरीफ लायें हाल में नयी-नयी तरह की बहुत-सी चीजें बिलायत से ऐसी उम्दा आई हैं जिनकोे देख कर आप बहुत खुश होंगे परंतु अभी वह खोली नहीं गयी है और इस समय मुझको रुपये की कुछ जरूरत है इन चीजों की कीमत के बिल का रुपया देना है आप मेहरबानी करके अपने हिसाब में से थोड़ा रुपया मुझको इस समय भेज दें तो बड़ी इनायत हो"


इस वचन में मिस्टर ब्राइट अपने अस्बाब की खरीदारी के लिये लाला मदनमोहन को ललचाता है परंतु अपने रुपये के वास्ते मीठा तकाजा भी करता है. चुन्नीलाल और शिंभूदयाल के कारण उनको मदनमोहन के लेन-देन में बहुत कुछ फायदा हुआ। परंतु उसके पचास हजार रुपये इस समय मदनमोहन की तरफ बाकी हैं और शहर में मनमोहन की बाबत तरह तरह की चर्चा फैल रही हैं बहुत लोग मदनमोहन को फिजूल खर्च, दिवालिया बताते हैं और हकीकत में सदनमोहन का खर्च दिन पर