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परीक्षागुरु.
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समझ कर कह दीं थीं कि अब कुछ फायदा न होगा तो आगे चल कर किसी समय काम आवेंगी" लाला ब्रजकिशोरने जबाब दिया.

"अपनी बातोंको आप अपने ही पास रहनें दिजिये क्योंकि यहां इन्का कोई गाहक नहीं है" लाला मदनमोहन कहनें लगे "आपके कहनें का आशय यह मालूम होता है कि आपके सिवाय सब लोग अनसमझ और स्वार्थपर हैं."

"मैं सबके लिये कुछ नहीं कहता परंतु आपके पास रहने वालों मैं तो निस्संदेह बहुत लोग नालायक और स्वार्थपर हैं" लाला ब्रजकिशोर कहनें लगे "ये लोग दिनरात आपके पास बैठे रहते हैं, हरबात मैं आपकी बड़ाई किया करते हैं, हर काम मैं अपनी जान हथेली पर लिये फिरते हैं पर यह आपके नहीं; आप के रुपे के दोस्त हैं, परमेश्वर न करे जिस दिन आपके रुपे जाते रहैंगे इन्का कोसों पता न लगेगा. जो इज्जत दौलत, और अधिकारके कारण मिल्ती है वह वह उस मनुष्य की नहीं होती. जो लोग रुपेके कारण आपको झुक, झुक कर सलाम करते हैं वही अपने घर बैठकर आपकी बुद्धिमानीका ठठ्ठा उडाते हैं! कोई काम पूरा नहीं होता जबतक उस्में अनेक प्रकारके नुक्सान होने की संभावना रहती है पूरे होनें की उम्मेद पर दस काम उठाये जाते हैं जिन्मैं मुश्किल सै दो पूरे पड़ते हैं परंतु आपके पास वाले खाली उम्मेद पर बल्कि भीतरकी नाउम्मेदी पर भी आपको नफे़ का सब्ज़ बाग़ दिखा कर बहुतसा रुपया ख़र्च करा देते हैं! मैं पहले कह चुका हूं कि आदमी की पहचान जाहिरी बातों सै नहीं होती उस्के बरतावसै होती है. इन्मैं आपका सच्चा शुभचिंतक कौन