पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/१४३

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स्वतन्त्रता.
 

आपके हानि लाभका दर्सानें वाला कौन है? आपके हानि लाभ का विचार करनें वाला कौन है? क्या आपकी हांमैं हां मिलानै सै सब होगया? मुझको तो आपके मुसाहिबोंमैं सिवाय मसख़रापनके और किसी बातकी लियाक़त नहीं मालूम होती कोई फबतियां कहकर इनाम पाता है, कोई छेड़छाड़कर गालियें खाता है, कोई गानें बजानें का रङ्ग जमाता है, कोई धोलधप्पे लड़कर, हंसता हंसाता है पर ऐसे आदमियोंसे किसी तरह की उम्मेद नहीं हो सक्ती"

"मेरी दिल्लगी की आदत है मुझसै तो हंसी दिल्लगी बिना रोती सूरत बना कर दिनभर नहीं रहा जाता परन्तु इन बातोंस कामकी बातोंमें कुछ अन्तर आया हो तो बताईये" लाला मदनमोहनने पूछा.

"आपके पिताका परलोक हुआ जबसै आपकी पूंजीमैं क्या घटाबढ़ी हुई? कितनी रकम पैदा हुई? कितनी अहंड हुई कितनी ग़लत हुई, कितनी ख़र्च हुई इनबातोंका किसीने विचार किया है? आमदनीसै अधिक ख़र्च करनें का क्या परिणाम है? कौन्सा ख़र्च वाजबी है, कौन्सा गै़रवाजवी है, मामूली ख़ंर्चके बराबर बंधी आमदनी कैसे होसक्ती है? इनबातों पर कोई दृष्टि पहुंचाता है? मामूली आमदनी पर किसीकी निगाह है? आमदनी देखकर मामूली ख़र्चके वास्ते हरेक सीगेका अन्दाजा पहलेसै कभी किया गया है, गै़र मामूली ख़र्चों के वास्ते मामूली तौरपर सीगेवार कुछ रक़म हरसाल अलग रक्ख़ी जाती है? बिनाजानें नुक्सान, खर्च और आमदनी कमहोनें के लिये कुछ रक़म हरसाल बचाकर अलग रक्खी जाती है? पैदावार बढ़ानें के लिये वर्तमान समयके