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परीक्षागुरु.
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अनुसार अपनें बराबर वालों की काररवाई, देशदेशांतर का बृत्तान्त और होनहार बातों पर निगाह पहुंचाकर अपनें रोज़गार धंदेकी बातोंमैं कुछ उन्नति की जाती है? व्यापारके तत्व क्या हैं. थोड़े ख़र्च, थोड़ी महनत और थोड़े समयमैं चीज तैयार होनेंसैकितना फ़ायदा होता है, इन बातोंपर किसीने मन लगाया है? उगाहीमैं कितने रुपे लेने हैं, पटनें की क्या सूरत है, देनदारों की कैसी दशा है, मयादके कितने दिन बाक़ी है इन बातोंपर कोई ध्यान देता है? व्योपार सिगाके मालपर कितनी रक़म लगती है, माल कितना मोजूद है किस्समय बेचनेंमें फ़ायदा होगा इन बातों पर कोई निगाह दौड़ाता है? ख़र्च सीग़ाके मालकी कभी विध मिलाई जाती है? उस्की कमीबेशीके लिये कोई जिम्मेदार है? नौकर कितनें हैं, तनख्वाह क्या पाते हैं, काम क्या करते हैं, उन्की लियाक़त कैसी है, नीयत कैसी है, काररवाई कैसी है, उन्की सेवाका आप पर क्या हक़ है, उन्के रखनें न रखने मैं आपका क्या नफ़ा नुक्सान है इनबातोंको कभी आपनें मन लगा कर सोचा है?"

"मैं पहले ही जान्ता था कि आप हिर फिरकर मेरे पासके आदमियोंपर चोट करेंगे परन्तु अब मुझको यह बात असह्य है. मैं अपना नफ़ा नुक्सान समझता हूं आप इस विषयमैं अधिक परिश्रम न करें" लाला मदनमोहनने रोककर कहा.

"मैं क्या कहूंगा पहलेसै बुद्धिमान कहते चले आए हैं" लाला ब्रजकिशोर कहने लगे "वलियम कूपर कहता है.:—

"जिन नृपनको शिशुकालसै सेवहिं छली तनमनदिये॥
तिनकी दशा अबिलोक करुणाहोत अति मेरे हिये ॥