पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/१४६

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परीक्षागुरु.
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"सच है! बिदुरजी कहते हैं "दयावन्त लज्जा सहित मृदु अरु सरल सुभाई॥ ता नर को असमर्थ गिन लेत कुबुद्धि दवाइ॥+[१]" इस लिये इन गुणोंके साथ सावधानी की बहुत ज़रूरत है सादगी और सीधेपन सै रहनें मैं मनुष्यकी सच्ची अशराफ़त मालूम होती है मनुष्य की उन्नति का यह सीधा मार्ग है परन्तु चालाक आदमियोंकी चालाकी सै बचनें के लिये हर तरह की वाक़फ़ियत भी ज़रूर होनी चाहिये" लाला ब्रजकिशोर नें जवाब दिया,

"दोषदर्शी मनुष्यों के लिये सब बातों मैं दोष मिल सक्ते हैं क्योंकि लाला साहबके सरल स्वभाव की बड़ाई सब संसार मैं हो रही है परन्तु लाला व्रजकिशोर को उस्मैं भी दोष ही दिखाई दिया!" पंडित पुरुषोत्तमदास बोले.

"द्रव्य के लाल्‌चियों की वड़ाई पर मैं क्या विश्वास करूं?


  1. + आर्जवन नरं युक्त मार्जवात् सव्यपत्रपम्॥
    अशक्तं मन्यमानास्तु धर्षयन्ति कुबुद्धयः।