पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/१७

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अकाल में अधिकमास
 


कितनी ही बार खाना खाकर भूल जाते थे, जरमन का प्रसिद्ध विद्वान लेसिंग एक बार बहुत रात गए अपने घर आया और कुन्दा खड़काने लगा, नौकर ने गैर आदमी समझ कर भीतर से कहा कि "मालिक घर में नहीं हैं कल आना" इस पर लेसिंग सचमुच लौट चला!!! इटली की मारने नामी कवि एक दिन कविता बनाने में ऐसा मग्न हुआ कि अंगीठी से उसका पैर जल गया तोभी उसे कुछ ख़बर न हुई!


"लाला ब्रजकिशोर साहब का भी कुछ ऐसा ही हाल है यह सीधी-सीधी बातों को विचार ही विचार में खींच तान कर ऐसी पेचीदा बनाइ लेते हैं कि उनका सुलझाना मुश्किल पड़ जाता है” मुन्नी चुन्नीलाल बोले.

“मैंने तो मिस्टर ब्राइट के रूबरू ही कह दिया था कि कोरी फिलासफी की बातों से दुनियादारी का काम नहीं चलता।" लाला मदनमोहन ने अपनी अकलमंदी जाहिर की.


इतने में मिस्टर रसल की गाड़ी कमरे के नीचे आ पहुंची और मिस्टर रसल खट-खट करते हुए कमरे में दाखिल हुए लाला मदनमोहन ने मिस्टर रसल से शेकिंगहैंड करके उन्हें कुर्सी पर बिठाया और मिज़ाज की खैरिआफियत पूछी.


मिस्टर रसल नील का एक हौसलेमंद सौदागर है परन्तु इसके पास रुपया नहीं है यह नील के सिवाय रूई और सन वगैरह का भी कुछ-कुछ व्यापार कर लिया करता है इसका लेन-देन डेढ़ पौने दो बरस से एक दोस्त की सिफारिश पर लाला मदनमोहन के यहां हुआ है.पहले बरस लाला मदनमोहन का जितना रुपया लगा था माल की बिक्री से ब्याज