पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/१७८

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परीक्षागुरु.
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भावी विवाह आदि का ख़र्च समझ कर उन्के वास्तै क्रम; क्रम सै सीग़ेबार रक़म जमा होती जाती है बिवाहादि के ख़र्चो का मामूल बन्ध रहा है उन्मैं फ़िजूल खर्ची सर्वथा नहीं होनें पाती परन्तु वाजबी बातोंमैं कसर भी नहीं रहती, इन्के सिवाय जो कुछ थोडा बहुत बचता है वह बिना बिचारे ख़र्च और नुक्सानादि के लिए अमानत रक्खा जाता है और विश्वास योग्य फायदे के कामों मैं लगानैं सैं उस्की वृद्धि भी की जाती हैं.

इन्के दो छोटे भाइयों के पढ़ानें लिखानें का बोझ इन्के सिर है इस लिये ये उन्को प्रचलित विद्याभ्यास की रूढ़ी के सिवाय उन्के मानसिक विचारों के सुधारनें पर सब सै अधिक दृष्टि रखते हैं. ये कहते हैं कि “मनुष्य के मनके विचार न सुधरे तो पढ़नें लिखनें से क्या लाभ हुआ?” इन्नें इतिहास और वर्तमान काल की दशा दिखा, दिखा कर भले बुरे कामों के परिणाम और उन्की बारीकी उन्के मन पर अच्छी तरह बैठा दी है तथापि ये अपनी दूर दृष्टि सै अपनी सम्हाल मैं ग़फ़लत नहीं करते उन्हें कुसंगति मैं नहीं बैठनें देते. यह उन्के संग ऐसी युक्ति सै बरतते हैं जिस्मैं न वो उद्धत होकर ढिठाई करनें योग्य होनें पावैं न भय सै उचित बात करनें मैं संकोच करैं. ये जान्ते हैं कि बच्चों के मनमैं गुरु के उपदेश सै इतना असर नहीं होता जितना अपनें बड़ों का आचरण देखनें सै होता है इस लिये ये उन्को मुखसैं उपदेश देकर उतनी बात नहीं सिखाते जितनी अपनी चाल चलन सैं उनके मन पर बैठाते हैं.

ब्रजकिशोर को सच्ची सावधानी सै हरेक काममैं सहायता मिहती है. सच्ची सावधानी मानों परमेश्वरकी तरफ़सै इन्को