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परीक्षा गुरु
१२
 

हजरत सादी कहते हैं कि "दुर्बल तपस्वी से कठिन समय में उसके दुख का हाल न पूछ और पूछे तो उसके दु:ख की दवा कर” मुंशी चुन्नीलाल ने कहा.


"अच्छा इस रूपये के लिये ये हमारी दिल जमई क्या कर देंगे?" लाला मदनमोहन ने बड़ी गंभीरता से पूछा.


हां हां लाला साहब सच कहते हैं आप इस रुपये के लिये हमारी दिल जमई क्या कर देंगे?” मुंशी चुन्नीलाल ने दिल जमई की चर्चा हुए पीछे अपनी सफाई जताने के लिए मिस्टर रसल से पूछा.


"मैं थोड़े दिन में शीशे बरतन का एक कारखाना यहाँ बनाना चाहता हूँ.अबतक शीशे बरतन की सब चीजें वलायत से आती हैं इस लिये ख़र्च और टूट-फूट के कारण उनकी लागत बहुत बढ जाती जो वह सब चीजें यहाँ तैयार की जाएंगी तो उनमें जरूर फायदा रहेगा और खुदा ने चाहा तो एक बरस के भीतर-भीतर आपकी सब रकम जमा हो जायगी परन्तु आपको इस समय इस बात पर पूरा भरोसा नहीं तो मेंरा नील का कारखाना आपकी दिल जमई के वास्ते हाज़िर है" मिस्टर रलस ने जवाब दिया.


"हिन्दुस्तान में अबतक कलों के कारखाने नहीं हैं इसलिए । हिन्दुस्तानियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है मैं जानता हूं कि इस समय हिम्मत करके जो कलों के कारख़ाने पहले जारी करेगा उसको ज़रूर फ़ायदा रहेगा" मास्टर शिंभूदयाल ने कहा.


.दरवेशजईफे हालरा दरखुशकी तंगे साल मपुर्सके चुनी तर्की इल्ला बशर्त आंकि मरहमें बनेंशनिही.