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पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२०९

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लोक चर्चा (अफ़वाह).
 

औरों की निन्दा करनें वाले हैं और कोई पापी ऐसे भी हैं जो आप किसी तरह की योग्यता नहीं रखते इस लिये अपना भरम बढानें को बडे बडे योग्य मनुष्यों की साधारण भूलों पर टीका करकै आप उन्के बराबर के बना चाहते हैं अथवा अपना दोष छिपानें के लिये दुसरे के दोष ढुंडते फिरते हैं या किसी की निंदित चर्चा सुन्कर आप उस्सै जुदे बन्नें के लिये उस्की चर्चा फैलानें में शामिल होजाते हैं या किसी लाभदायक बस्तु सै केवल अपना लाभ स्थिर रखनें के लिये औरों के आगे उस्की निंदा किया करते हैं पर बहुतसै ठिलुए अपना मन बहलानें के लिये औरों की पंचायत ले बैठते हैं बहुतसै अन्समझ भोले भावसै बात का मर्म जानें बिना लोगोंकी बनावट मैं आकर धोका खाते हैं जो लोग औरों की निंदा सुन्कर कांपते हैं वह आप भी अपनें अजानपनें मैं औरोंकी निंदा करते हैं! जो लोग निर्दोष मनुष्यों की निंदा सुन्कर उन्पर दया करते हैं वह आप भी धीरे सै, कान मैं झुककर, औरों सै कहनें के वास्तै मनै करकर, औरोंकी निंदा करते हैं! जिन लोगोंके मुख से यह वाक्य सुनाई देते हैं कि "बड़े खेद की बात है" "बड़ी बुरी बात है" बड़ी लज्जा की बात है" "यह बात मान्नें योग्य नहीं" "इस्मैं बहुत संदेह है" "इन्बातों सै हाथ उठाओ" वह आप भी औरों की निंदा करते हैं! वह आप भी अफ़वाह फैलानें वालोंकी बात पर थोड़ा बहुत विश्वास रखते हैं! झूंटी अफ़वासै केवल भोले आदमियों के चित्त पर ही बुरा असर नहीं होता वह सावधान सै सावधान मनुष्यों को भी ठगती है. उस्का एक, एक शब्द भले मानसों की इज्जत लूटता है कल्पद्रुम मैं कहा है "होत चुगल संसर्ग ते सज्जन मनहुं विकार॥