मात्र कहता हूं कि आप गई बीती बातोंका कुछ ख़याल न करें?"
"जो कुछ भी ख़याल होता तो लाला साहब इस तरह उठकर क्या चले आते? अब तो सब का आधार आप की कारगुज़ारी (अर्थात् कार्य कुशलता) पर है" मुंशी चुन्नीलाल नें कहा.
"मेरे ऐसे भाग्य कहां?" लाला ब्रजकिशोर प्रेम बिबस होकर बोले.
"देखो हरकिशोर नें कैसा नीचपन किया है!" लाला मदनमोहन ने आंसू भरकर कहा.
"इस्सै बढ़कर और क्या नीचपन होगा?" लाला ब्रजकिशोर कहनें लगे "मैंने कल उस्के लिये आप को समझाया था इस्सै मैं बहुत लज्जित हूं मुझको उस्समय तक उस्के यह गुन मालूम न थे अब ये अफवा किसी तरह झूंट हो जाय तो मैं उसै मज़ा दिखाऊं"
"निस्संदेह आप की तरफ सै ऐसीही उम्मेद है ऐसे समय मैं आप साथ न दोगे तो और कौन् देगा?" लाला मदनमोहन ने करुणा सै कहा.
"इस्समय सब सै पहले अदालत की जवाब दिहीका बंदोबस्त होना चाहिये क्योंकि मुकद्दमों की तारीखें बहुत पास, पास लगी हैं" मुन्शी चुन्नीलाल नें कहा.
"अच्छा! आप अपना काग़ज़ तैयार करानें के वास्तै तीन चार गुमाश्ते तत्काल बढ़ा दें और अदालत की कार्रवाई के वास्ते मेरे नाम एक मुख्तयार नामा लिखते जायं बस फिर मैं समझ लूंगा" लाला ब्रजकिशोर नें कहा.