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परीक्षागुरु.
२३२
 

प्रकरण ३२.


अदालत.

काम परेही जानिये जो नर जैसो होय॥
बिन ताये खोटो खरो गहनों लखै न कोय॥

बृन्द.

अदालत हाकिम कुर्सीपर बैठे इज्‌लास कर रहे हैं. सब अहलकार अपनी, अपनी जगह बैठे हैं निहालचंद मोदी का मुकद्दमा हो रहा है उस्की तरफ़ सै लतीफ़ हुसैन वकील हैं. मदनमोहनकी तरफ सै लाला ब्रजकिशोर जवाबदिही करते हैं. ब्रजकिशोर नें बचपन मैं मदनमोहन के हां बैठकर हिंदी पढ़ी थी इस वास्तै वह सराफी कागज की रीति भांति अच्छी तरह जान्ता था और उस्नें मुकद्दमा छिड़नें सै पहले मामूली फ़ीस देकर निहालचंद के बही खाते अच्छी तरह देख लिए थे. इस मुकद्दमें मैं कानूनी बहस कुछ न थी केवल लेन देनका मामला था.

ब्रजकिशोर नें निहालचंदको गवाह ठैराकर उस्सै जिरहके सवाल पूछनें शुरू किये "तुम्हारा लेन देन रुक्के पर्चों से है!"

जवाब "नहीं"

"तो तुम किस तरह लेन देन रखते हो?

ज॰ "नोकरों की मारफत"

"तुमको कैसे मालूम होता है कि यह आदमी लाला मदनमोहन की तरफ सै माल लेनें आया है और उन्हींके हां ले जायगा!"