पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२४५

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अदालत.
 

नाम बड़ी रकम लिखी जाय उसी मितीमैं कुछ रकम उदरत खाते जमा हो और थोड़े दिन पीछै वह रकम जैसीकी तैसी लोगों को बांट दी जाय?" लालाब्रजकिशोरनें जवाब दिया।

"देखो जी! इस मुकद्दमेमैं किसी तरह का फ़रेब साबित होगा तो हम उसै तत्काल फ़ौजदारी सुपुर्द कर देंगे" हाकिमनें संदेह करके कहा.

"हजूर हमको एक दिनकी मुहलत मिल जाय हम इन सब बातोंके लिये लाला ब्रजकिशोर साहबकी दिलजमई अच्छी तरह कर देगें" निहालचंदके वकीलनें हाकिम सै अर्ज की और ब्रजकिशोरनें इस बातको खुशी सै मंजूर किया.

उदरत खाते सै लाला मदनमोहनके नोकरों की कमीशन वगैरे का हाल खुल्ता था जहां रकम जमा थी किस्सै आई? किस बाबत आई इसका कुछ पता न था परंतु जहां रकम दी गई मदनमोहनके नोकरोंका अलग, अलग नाम लिखा था और हिसाब लगानें सै उसका भेद भाव अच्छी तरह मिल सका था। जिन नोकरोंके खाते थे उन्के खातोंमैं यह रकमें जमा हुईं थीं और कानूनके अनुसार ऐसे मामलों में रिश्वत लेनें देनें वाले दोनों अपराधी थे परंतु ब्रजकिशोरके मनमैं इन्के फंसाने की इच्छा न थी वह केवल नमूना दिखाकर लेनदारों की हिम्मत घटाया चाहता था. उस्नें ऐसी लपेटसैं सवाल किये थे कि हाकिम को भारी न लगे और लेनदारोंके चित्तमैं गढ़ जांय सो ब्रजकिशोर की इतनी ही पकडसै बहुतसे लेनदारोंके छक्के छूट गए।

कितनें ही छिपे लुच्चे मदनमोहनकी बेखरची और कागजका अंधेर, लेनदारोंका हुल्लड, मुकद्दमोंके झटपट हो जानेकी उम्मेद