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परीक्षागुरु.
२५८
 


बड़े क्रोधसै कहनें लगे "आज सवेरे सै इस कमरे के भीतर कौन, कौन आया था उन सबके नाम लिखवाओ मैं अभी कोतवाली को रुक्का लिखता हूं वह सब हवालात मैं भेज दिये जायंगे और उन्के मकानों की उन्के संबन्धियों समेत तलाशी ली जायगी जिन्के घर सै कोई चीज़ चोरी की निकलेगी या जिनपर और किसी तरह चोरी का अपराध साबित होगा उन्को ताजी रात हिन्द की दफै ४०८ के अनुसार सात बरस तक की कैद और जुर्माने का दण्ड भी हो सकेगा”

“अजी महाराज! एक मनुष्य के अपराध सै सबको दण्ड हो यह तो बड़ा अनर्थ है” बहुतसे नौकर गिडगिडा कर कहनें लगे” हम लोग अबतक लाला साहब के यहां बेटा बेटी की तरह पले हैं इस्सै अब ऐसी ही मर्जी हो तो हमको मौकूफ कर दीज़िये परन्तु बदनामी का टीका लगा कर और जगह के कमानें खानें का रस्ता तो बन्द न कीजिये.”

“हां हां यह तो सफाई सै निकल जानें का अच्छा ढंग है परन्तु इस्तरह तुम्हारा पीछा नहीं छुटगा जो तुम लाला साहब के यहां बेटा बेटी की तरह पले हो तो तुमको इस्समय यह बात कहनी चाहिये? तुम इस्समय लाला साहब सै अलग होनें में अपना लाभ समझते हो परन्तु यह तुम्हारी भूल है इस्मैं तुम उल्टे फस जाओगे" लाला ब्रजकिशोर नें सिंह की तरह गर्ज कर कहा.

"अच्छा! हम को सांझ, तककी छुट्टी दीजिये हमसै हो सकेगा जहां तक हम घड़ी का पता लगावेंगे” नौकरोंने जवाब दिया.