पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
परीक्षागुरु.
२७६
 

होगी? फिर वह आप इस बात को कैसे भूली जाती हैं? उन्को अपने लिये नहीं तो इन छोटे, छोटे बच्चों के लिये हिम्मत रखनी चाहिये" लाला ब्रजकिशोर कहने लगे "इंग्लैंड के बादशाह पहले जेम्स की बेटी इलेक्टर पेलेटीन के साथ ब्याही थी. उस्नें अपनें पति को बोहोमिया का बादशाह बनानेंकी उमंग मैं इन्की तरह अपना सब जेवर खो दिया इस्सै अन्तमैं उस्को अपनें निर्वाहके लिये भेष बदलकर भीख मांगनी पड़ी थी"।

"अपनें पति के लिये भीख मांगनी पड़ी तो क्या चिन्ता हुई? स्त्री को पति से अधिक संसार मैं और कौन है? जगत माता जानकीजीनें राज सुख छोड़ कर पति के संग बनमैं रहना बहुत अच्छा समझा था। और यह वाक्य कहा था" देत पिता परिमित सदा परिमित सुत और भ्रात। देत अमित पति तासुपद नहीं पूजहिं किहिं भांति?॥÷[१]" सती शिरोमणि सावित्रीनें पतिके प्राण वियोग पर भी वियोग नहीं सहा था. मनुस्मृति मैं लिखा है "शील रहित पर नारि रत होय सकल गुण हानि। तदपि नारि पूजै पति हि देव सदृश जिय जानि॥[२] नारिन को ब्रत यज्ञ तप और न कछु जगमाहिं। केवल पति पद पूज नित सहज स्वर्ग मैं जाहिं॥[३]" पति के लिये गहना क्या? प्राण


  1. ÷ मितं ददाति हि पिता मितं भ्राता मितं सुतः।
    अमितस्वच दातारं भर्तारं का न पूजयेत्॥

  2. विशीलः कामवृत्तो वा गुणौर्वा परिवर्ज्जितः।
    उपचर्य्यः स्त्रिया साध्व्या सततं देववत्पतिः॥

  3. नास्ति स्त्रीणां पृथग्यज्ञो न ब्रतन्नाप्युपोषितम्।
    पतिं शुश्रूषते येन तेन स्वर्गे महीयते॥