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परीक्षागुरू.
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आपका अवश्य मंगल करेगा" यह कहकर लाला ब्रजकिशोरनें मदनमोहनको छाती सै लगा लिया.



प्रकरण ४१.

सुखकी परमावधि.

जबलग मनके बीच कछु स्वारथको रस होय॥
युद्ध सुधा कैसे पियै? परै बीच मैं तोय॥

सभाविलास.

"मैंने सुना है कि लाला जगजीवनदास यहां आए हैं?" लाला मदनमोहननें पूछा.

"नहीं इस्समय तो नहीं आए आपको कुछ संदेह हुआ होगा लाला ब्रजकिशोरनें जवाब दिया.

"आपके आनें सैं पहलै मुझको ऐसा आश्चर्य मालूम हुआ कि जानें मेरी स्त्री यहां आई थी परंतु यह संभव नहीं कदाचित् स्वपन्न होगा" लाला मदनमोहननें आश्चर्य सै कहा.

क्या केवल इतनी ही बातका आपको आश्चर्य है? देखिये चुन्नीलाल और शिंभूदयाल पहलै बराबर आपकी निन्दा करके आपका मन मेरी तरफसै बिगाड़ते रहते थे बल्कि आपके लेनदारों को बहकाकर आपके काम बिगाड़नें तकका दोषारोप मुझपर हुआ था परंतु फिर उसी चुन्नीलालनें आप सै मेरी बडाई की, आपसै मेरी सफ़ाई कराई, आपको मेरे मकान पर लिए लाया