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पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/५१

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सावधानी(होशियारी)
 


पहचान कर मनुष्य अपनी परीक्षा भी आप कर सकेगा, राजपाट, धन-दौलत, विद्या, स्वरूप, वंश, मर्यादा में भले बुरे मनुष्य की परीक्षा नहीं हो सकती. बिदुरजी ने कहा है “उत्तमकुल आचार बिन करे प्रमाण न कोई॥ कुलहीनों आचारयुक्त लहे बड़ाई सोइ॥"


प्रकरण ७ +

सावधानी(होशियारी)

सब भूतनको तत्व लख कर्म योग पहिचान॥
मनुजनके यत्नहिं लखहिं सो पंडित गुणवान॥

विदुर प्रजागरे

“यहां तो आप अपने कहने पर खुद ही पक्के न रहें, आप ने केलीप्स और डिओन का दृष्टांत देकर यह बात साबित की थी कि किसी की जहिरी बातों से उसकी परीक्षा नहीं हो सकती परन्तु अंत में आप ने उसी के कामों से उसको पहचानने की राय बतलाई” बाबू बैजनाथ ने कहा.


न कुलं वृत्तहीनस्य प्रमाण मिति में मति:॥
अन्तेष्वपि हि जातानां वृत्तमेव विशिष्यते॥
तत्वज्ञः सर्वभूतानां योगज्ञ: सर्वकर्मणाम्॥
उपायज्ञों मनुष्याणां नर: पंडित उच्यते॥

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