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सावधानी (होशियारी)
 


उन्नति-अवनति का आधार वहां के निवासियों की प्रकृति पर है. सब देशों मैं सावधान और असावधान मनुष्य रहते हैं परन्तु जिस देश के बहुत मनुष्य सावधान और उद्योगी होते हैं उस्की उन्नति होती जाती है और जिस देश मैं असावधान और कमकस विशेष होते हैं उस्की अवनति होती जाती है. हिन्दुस्थान मैं इस समय और देशों की अपेक्षा सच्चे सावधान बहुत कम हैं और जो हैं वे द्रव्य की असंगति सै, अथवा द्रव्यवानों की अज्ञानता सै, अथवा उपयोगी पदार्थों की अप्राप्तिसै, अथवा नई,नई युक्तियों के अनुभव करने की कठिनाईयों से, निरर्थक से हो रहे हैं और उन्की सावधानता बनके फूलोंकी तरह कुछ उपयोग किये बिना बृथा नष्ट हो जाती है परंतु हिन्दुस्थान मैं इस समय कोई सावधान न हो यह बात हरगिज़ नहीं है"

"मेरे जान तो आजकल हिन्दुस्थान मैं बराबर उन्नति होती जाती है. जगह, जगह पढ़ने लिखने की चर्चा सुनाई देती है, और लोग अपना हक़ पहचान्ने लगे हैं" बाबू बैजनाथनें कहा.

"इन सब बातों मैं बहुत सी स्वार्थपरता और बहुतसी अज्ञानता मिली हुई है परन्तु हकीकत मैं देशोन्नति बहुत थोड़ी है" लाला ब्रजकिशोर कहने लगे "जो लोग पढ़ते हैं, वे अपने बाप दादोंका रोजगार छोड़कर केवल नौकरी के लिये पढ़ते हैं और जो देशोन्नति के हेतु चर्चा करते हैं उनका लक्ष अच्छा नहीं है। वे थोथी बातों पर बहुत हल्ला मचाते हैं परंतु विद्या की उन्नति, कलों के प्रचार, पृथ्वी के पैदावार बढ़ाने की नई, नई युक्ति और लाभदायक व्यापारादि आवश्यक बातों पर जैसा चाहिये ध्यान नहीं देते जिस्सै अपने यहां का घाटा पूरा हो. मैं पहले कह चुका