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पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/८३

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सज्जनता
 


नया आदमी शामिल हो जाय तो कुछ दिल के अभ्यास से अच्छी तरह वाकिफ हो सकता है, चार बराबर वालों से बात चीत करने में अपने विचार स्वत: सुधर जाते हैं और आज कल के सुधरे विचार जानने का सीधा रास्ता तो इससे बढ़ कर और कोई नहीं है” मुंशी चुन्नीलाल ने कहा.

"जिस तरह समुद्र में नौका चलाने वाले केवट समुद्र की गहराई नहीं जान सकते इसी तरह संसार में साधारण रीति से मिलने भेंटने वाले इधर उधर की निरर्थक बातों से कुछ फायदा नहीं उठा सकते. बाहर की सज धज और ज़ाहिर की बनावट से सच्ची सज्जनता का कुछ संबंध नहीं है वह तो दरिद्री-धनवान और पूर्व विद्वान का भेद-भाव छोड़ कर सदा मन की निर्मलता के साथ रहती है और जिस जगह रहती है उसको सदा प्रकाशित रखती है" लाला ब्रजकिशोर ने कहा.

"तो क्या लोगों के साथ आदर सत्कार से मिलना जुलना और उनका यथोचित शिष्टाचार करना सज्जनता नहीं है?" लाला मदनमोहन ने पूछा.

"सच्ची सज्जनता मन के संग है” लाला ब्रजकिशोर कहने लगे. कुछ दिन हुए जब अपने गवर्नर जनरल मारक्विस आफ रिपन साहब ने अजमेर के मेयो कालेज में बहुत से राजकुमारों के आगे कहा था कि "** हम चाहे जितना प्रयत्न करें परंतु तुम्हारी भविष्यत अवस्था तुम्हारे हाथ है. अपनी योग्यता बढ़ानी, योग्यता की कद्र करनी, सत्कर्मों में प्रवृत्त रहना, असत्कर्मों से ग्लानि करना तुम यहाँ सीख जाओगे तो निस्सन्देह सरकार में प्रतिष्ठा, और प्रजा की प्रीति लाभ कर सकोगे. तुम में से