पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

4 - परंतु पाश्चात्य दशों से आए हुए इस विचार का प्रचार-प्रसार हमारे देश में आज.भी हुआ नहीं है। या फिर ऐसा भी हो सकता है की, विघाट पहुंच भी गया हो लेकिन उस पर नॉन जजमेंटल और नॉन डिस्क्रीमिनेटरी दृष्टिकोण से देखने की जरूरत किसी को महसूस नहीं हुई है। क्योकि अपने यहाँ आज भी लगभग डॉक्टर्स समलैगिकता को बीमारी मानते हैं। कितनी खेद धरी बात है यह। मैं पास हो गया। हम लोग तुलजापुर जाकर देवी के दर्शन कर आए। कल से कॉलेज खुलेगा। मेरा दिल धकधक कर रहा है। हात-पाँव जैसे लुले- लँगडे पड़ गए हैं। ताकत ही नहीं रही। कब कॉलेज जाऊँगा और जतीन से मिलूँगा बेताबी हो रही है। दुसरी तरफ अपने ही बारे में कितनी घृणा लग रही है। आज कॉलेज शुरू हो गया। जतीन को देखे दो महिने हो गए है। उसे मिलने बहुत उत्सुक था। लेकिन निराशा ही हुई। जतीन आ गया वो भी नेहा के साथ। मैंने आगे होकर उसे 'हाय' किया, तो उल्टा उसने वही सवाल किया, 'क्यों कैसा है तेरा होमो दोस्त?' नेहा खी खी करके हँसने लगी। ये साली हमेशा जतीन के साथ रहती हैं। मुझे लगा, खुदकुशी कर दूँ। उन दिनों इंटरनेट नहीं था। मोबाईल फोन भी नहीं थे। एक बार छुटि हो जाने के बाद किसीको मिलना हो, तो दूसरे साल में फिरसे कॉलेज शुछ होनेके बाद। वो दिन अब भी मैं भुला नहीं हूँ। उस दिन घर आकर मैं बहुत सोया था। उसके मन में, मेरे लिए कोई भी ऐसी भावना नहीं है, यह एक दुःख था। मैं जिसे प्रेम करता हूँ वह उसे सक विकृति समझता है, यह दूसरा दुःख। और तिसरा दुःख था, मैं उसे बता भी नहीं सकता, कि मैं उससे प्यार करता हूँ। उस यात फिर एक बार खुदकुशी करने के विचार मन में मंडराने लगे थे। क्लासेस शुरू हो गए हैं। बारहवीं का यह महत्त्वपूर्ण वर्ष और मेरा ध्यान कहीं ओर! किसी डॉक्टर के पास जाए क्या? लेकिन उन्हें क्या बताऊँगा? कैसे बताऊँगा? किसी पराए व्यक्ति को मैं बता नहीं पाऊँगा की मेरे मन में 'होमो' १९ ... ...