पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/४३

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गृहस्थी कोई कैसे निभा सकता है। ऐसा रिश्ता सिर्फ दिखावे का बनके रहता है। लुकस ने उसकी मम्मी के साथ बात की। तो मम्मी ने कहा, शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा। उसने मम्मी से सवाल किया, 'क्या (उसकी बहन) मिताली की शादी किसी गे लड़के से कर दोगी?' उसकी मम्मी लुकस का यह अग्र्युमेंट मान गई। लुकास की खुशकिस्मती है की उसकी माँ समझदार है। मेटे कई गे' दोस्त है जिन्होने शादी कर ली है। उनमें से किसी के बच्चे भी है। कुछ दोस्त ईमानदारी से कबूल कर देते हैं कि, उनकी पत्नी लैगिक दृष्टि से सुखी नहीं है। क्योंकि उनके बीच के लैगिक संबंधसिर्फ फर्जनिभाने के लिए होते हैं। उसमें अपनापन, आनंद, प्रेम, भावना आदि को स्थान नहीं होता। इनमें से कुछ पुरुष बाहर पुरुष के साथ लैगिक संबंध बनाएं हुए हैं। पिताजी घर में अब गुमसुमसे रहते हैं। कुछ बात नहीं करते। माँ के साथ भी नहीं। जब देखो टीवी के सामने बैठे रहते हैं। माँ भी जरूरत से ज्यादा बोलती नहीं। एक बार उसने मुझे कहा, 'बेटा, यह बात कब महसूस होने लगी तुझे? पहले ही क्यों नहीं बताया तुने? हम पर यकीन नहीं तुझे? हम तुम्हारी परवरिश में कम पडे। माँ समझ नहीं सकती की इसमें किसी का दोष नहीं, गलती नहीं। यह भी उसे कभी भी मालूम नहीं होगा कि मैंने इस बात का सामना कैसा किया। क्या बीती थी मुझपर। क्या-क्या न झेलना पड़ा मुझे। माँ से संवाद मुश्किल हो रहा है। आज वह मुझे एक 'बाबा' के पास ले गई। उसके शिष्य उसके साथ बैठे थे। माँ को बोलने में शर्मिंदगी हो रही थी। मुझे भी संकोच हो रहा था। मैं गर्दन झुकाकर खड़ा था। 'इसे कुछ समझाइए...शादी से इन्कार कर रहा है। लड़कियाँ अच्छी नहीं लगती। इसे लड़के पसंद है।' साहस जुटाकर माँ ने साधुबाबा को सब उगल दिया और उसके पाँव पकड लिए। मुझे भी इशारा किया। मैं उसके चरण छुना नहीं चाहता था, फिर भी छू लिए। साधु ने हर अमावस को नैवेद बनाकर छत पर कौओं के लिए , ३४...