पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/४४

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रखने को कहा। मुझे और माँ को गुरुवार का उपवास करने को भी कहा। माँ ने आशाभरे स्वर में पूछा 'कब तक फल मिलेगा?' तो उसने उत्तर दिया 'कह नहीं सकता' माँ और मेरे गुरुवार के अनशन शुरू हो गए हैं। मैंने माँ को साफ साफ बता दिया है, कि ऐसी बातों से कोई फर्क आनेवाला नहीं है। तो वह तिलमिलाकर बोली, 'तेरे लिए नहीं, मेरा मन रखने के लिए ही सही, उपवास कर ले। कम-से-कम मैं जब तक जिंदा हूँ तबतक, बाद में छोड़ दें' कहकर रोने लगी। मुझे अपराधी लग रहा है। समझ में नहीं आता मैंने क्या किया है। अब तो लग रहा है घरसे भाग जाऊँ। काम में मन लगाता हूँ। वही समय बिताता हूँ। सिर्फ खाना खाने और रात सोने के लिए घर आता हूँ। घर में एक प्रकार का दबावसा लगता है। अभीतक चार जोतिषों को माँ मेरी कुंडली दिखा चुकी है। एकने निश्चयपूर्वक कहा, 'इस साल शादी हो जाएगी।' माँ ने मेरे बारे में बताया। तो ज्योतिष महाशय ने सलाह दी कि 'शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा।' माँ फिर से लड़कियाँ ढूँढ़ने लगी है। इस बात को लेकर माँ से जमके झगडा हो गया। आखिर मैंने धमकाया, 'शादी के लिए मजबूर करोगी, तो मैं सबको बता दूंगा कि मैं कौन हूँ।' माँ मेरी शादी दो कारणों के लिए चाहती है। मुझे हमेशा कहती रहती है, 'अभी तुम्हारा खयाल करनेवाले हम है। हमारे बाद तुम्हें कौन सँभालेगा? और दूसरा कारण है, मैं उनकी अकेली औलाद हूँ। मेरे ना भाई, ना बहन। फिर हमाराः वंश कौन बढ़ाएगा। वंश चलाते रखने की जिम्मेदारी मेरे ही सरपर है। समलिंगी जोड़ों को अगर साथ रहने की इजाजत मिल जाए, तो वे एक दूसरे की परवरिश करेंगे, सन्योलो, सहारा दे सकेंगे। यह बात सही है कि इसका स्वीकार करने में समाज को देर लगेगी लेकिन loving, understanding, caring, sharing, concern आदि बातें सिर्फ भिन्नलिंगी जोड़ों में ही होती है, वे ही इन्हे निया सकते हैं, यह गलतफहमी समाज के मन से निकल जानी चाहिस। परंतु लोगों को यह बात जजती नहीं है। रहा वंश बढ़ाने का सवाल तो समलिंगी जोड़ों को बच्चा गोद लेने की इजाजत दे दीजिए। ३५ ... ...