पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/५०

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हो गया तो? वहाँ जाना, मतलब समलिंगी होने की बात दुनिया पर जाहिर करना। किसी को अपना नाम समझ गया और उसने ब्लॅकमेल किया तो? किस को बताए? एक ना दो हजार बाते मन में आती रहती हैं। दिल में शायद और एक एहसास रहता है कि अब यह 'डिनायल' की स्थिति खत्म हो गई है। इस स्थिति से बाहर निकलने को मन करता नहीं। क्योंकि उसके आगे 'कंफ्रंटेशन' की स्थिति खड़ी रहती है। इस डिनायल की स्थिति से निकलकर, खुद इसका स्वीकार करना पड़ेगा, तुम कौन हो यह सबको बता देना पड़ेगा। कुछ समलिंगी लड़के-लड़कियों को सेसी संस्थाओं से दवेष रहता है। सेसे होमोफोरिक परिवेश में कोई अपने लिए कुछ कर रहा है. यह भावना जलन पैदा करती है और इस कारण ये लोग ऐसी संस्थाओं की तरफ भटकते नहीं। नरेन ने कहाँ, “निरोध चाहिए?' मुझे चाहिए तो थे लेकिन रलूँगा कहाँ? बटुले में निरोध का पॅकेट घरवालों ने देख लिया तो? पहले ही परेशानी की क्या कमी है, तो और मोल लेना? निरोध पास रखने का सवाल बहुत लोगों को सताता है। प्रायव्हसी नाम की संकल्पना हमारे संस्कृति में है नहीं। कोई थी कहीं थी हमारे बटुओ जेव, बॅग, खत बिनापूछे खोल देते हैं। इसी डर से लोग निरोध साथ रखते नहीं। (वो सेक्शुअली अॅक्टिव्ह हो, तो थी) और जब सेन मौके पे उसकी जरूरत पड़ती है, तब निरोध हाथ आने की संभावना कम होती है। ऐसी स्थिति में असुरक्षित संयोग होने की संभावना बढ़ती है। नरेन दिखने में अच्छा है। मैंने उससे सेक्स की माँग की। उसने ना कह दिया। ट्रस्ट के नियमों के बारे में उसने कुंछ कहा। नहीं करना है, तो गया भाड़ में। मुझे क्या पड़ी है? बहुत गुस्सा आ गया। इसके जैसे पचासो मिलेंगे। घर आकर उसने दिया हुआ फोन नंबर फाड़के फेंक दिया। ...४१ ...