पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/५१

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कुछ दिनों के बाद नरेन मुझे फिर वही स्थान पर मिला। हररोज रात ९.३० बजे वह उसी जगह चक्कर लगाता है। 'ऑफिस गया था क्या?' उसने मुझे पुछा। 'समय नहीं मिला।' मैं। 'अकेले जाने में डर लग रहा हो, या ऑफिस जाने की हिम्मत न होती हो, तो मैं तुम्हारे साथ चलूँगा। या फिर ट्रस्ट के लोगों से तुम कहीं बाहर मिलना चाहते हो, तो वह भी हो सकता है। तुम घबराओ नहीं, तुम्हारा असली नाम मत बताना। ट्रस्ट आने के लिए एक पैसा भी देना नहीं पड़ेगा। कोई तुझ से बुरा सलूक करेगा, इस बात का अगर डर हो, तो बाहर खुले रेस्टॉरंट में मिलते हैं। तू किसी भी बात की चिंता मत कर।'- नरेन बोला। 'सोचना पड़ेगा, लेकिन सच कहूँ तो मुझे तुझ में इंटरेस्ट है।' मैंने साफ कह दिया। पर उसे मुझ में जरा भी इंटरेस्ट नहीं है। उसने कहा कि उसका एक बॉयफ्रेंड है और उसके साथ वह एकनिष्ठ है। 'अगर तू मेरे साथ संबंध रखेगा तो, किस को क्या पता चलेगा?' - मैं। 'मैं उससे प्यार करता हूँ और दूसरा कोई अच्छा लगे तो भी मैं उसके साथ कभी नहीं जाऊँगा। देखो, रिश्ते में विश्वास महत्त्वपूर्ण होता है' नरेन बोला। मेरे अहंकार को ठेस पहुँची। कुछ बहाना बनाकर चलता हो गया। अहंकार को ठेस लगना, इतना ही कारण नहीं था, मेरे गुस्से , का। उसके पास एक लड़का है, उनमें बेहद प्यार है, विश्वास है। किसी और ने सेक्स के लिए पूछा तो वो साफ इन्कार कर देता है, यह सब मेरे लिए बहुत क्लेशकारक था। मुझे पहली बार महसूस हो गया कि इस तरह का परिपूर्ण समलिंगी रिश्ता भी हो सकता है। आज तक जो मिले, वो सब अंधेरे में सिर्फ शरीरसुख छीनने वाले थे। सेसा गादा रिश्ता मेरे नसीब में नहीं यह बात मेरे मन को चुभ गई। मेरे मन में, उससे और उसके बॉयफ्रेंड से कमाल की जलन पैदा हो गई और मैं झट से वहाँ से निकल ... ४२ ...