पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/५२

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इल जब मुझे मिला, तब हमारे बीच के रिश्ते से सब जलते थे। ईया, दाह सबके मन में था। इसमें मेरे कई नजदिकी दोस्त थी थे। अब मैं उन्हें दोष नहीं देता लेकिन उस वक्त देता था। उन दिनो बहुत चिड़चिड़ाहट होती थी। मैं हमेशा इरु को कहा करता था। हम दोनों पर सबकी बुरी नजर है। उस पर इस मुझे जबाब देता, जब यह तुम्हारे नसीब नहीं था, तब तुम भी ऐसे ही थे। हम जैसे लोगों में इस युटन के कारण, सेसी ई िस्वाभाविक रुपसे पैदा होती है और उसे बाहर निकलना आसान नहीं होता। दम घुटनेवाली हमारी विवशता हमें डिस्ट्रक्टिव्ह बना देती है। इतनी जल्दी उससे उबरने की अपेक्षा मत कर, उससे और परेशानी होगी। कुछ दिनों से संडास की जगह तकलीफ हो रही हैं। उस जगह एक जख्म हुआ है। बहुत दुखता है। क्या यह गुप्तरोग तो नहीं? एच.आय.व्ही. की छूत तो नहीं लगी? पूरे दिनभर बेचैन रहा। खाना नहीं खा सका। टिफिन ज्यों का त्यों भरा हुआ घर वापस ले गया। क्या करू, समझ में नहीं आ रहा है। डॉक्टर के पास जाऊँ? फॅमिली डॉक्टर के पास जाने का तो सवाल ही नहीं, उन्हें क्या मुँह दिखाऊँगा? तो फिर किस डॉक्टर के पास जाऊँ? डॉक्टर ने कुछ उलटे सीधे सवाल किए तो? उसने गालियाँ दी तो? ना बाबा! डॉक्टर के पास जाना बेकार है। देखते है, थोड़ा समय और जाने दे, थोड़ा सहन करुंगा फिर देलूँगा क्या करना है। नरेन से मिलकर हफ्ता गुजर गया। आज उसे मिला। चाय के साथ उससे बातचीत हुई। उससे बात करने पर मन हल्का हो जाता है। वैसे और है कौन जिससे दिल से बात कर सकूँ। आखिर मनका संकोच दूर करके उसे मैंने कहा, 'देखो नरेन मेरे एक दोस्त को प्रॉब्लेम हो गया है। संडास की जगह उसे एक जख्म हुआ है। उसने बाहर बिना निरोध का पॅसिव्ह संभोग किया था। तुम कुछ दवा जानते हो?' नरेन बोला, 'गुप्तरोग हो सकता है। तुम्हारे दोस्त से कहो, जाँच करा लो। अगर वो चाहे तो उसे 'नारी' के क्लिनीक, जो सब्जी मंडी के पास है- मैं ले जाऊँगा।' 'ठिक है, बताता हूँ उसे। लेकिन अगर वह अकेला डायरेक्ट उधर जाना चाहेगा तो कहाँ जाए?' ४३...