पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/५३

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नरेन ने मुझे क्लिनीक का पता, फोन नंबर और कमरा नंबर दिया। 'नरेन, प्लीज तुम्हारे ऑफिस का नंबर भी फिरसे देना। मालूम नहीं, कहीं गुम हो गया है। मैंने कहा। 'जाँच और दवा के पैसे नहीं देने पड़ते' नरेन बोला। 'लेकिन उन्हें अगर पता चल जाए कि वह 'गे' है, तो? मैं 'घबराओ नहीं। कुछ नहीं होगा। वहाँ के लोग बहुत समझदार हैं। वो बुरा सलूक नहीं करेंगे। उन्हें जाली नाम बताना। फोन नंबर, पता वगैरह बातें वो लोग पूछते हो नहीं। अकेला जाने के लिए अगर उसे डर, संकोच लगा रहा हो, तो मुझे बता देना। मैं साथ जाऊँगा। लेकिन उसे पक्का जाने के लिए बोलना। उपरी लक्षण ठीक होने पर गुप्तरोग ठीक हो गया, ऐसा नहीं होता। समय पर अॅलोपॅथिक दवाईयाँ लेना जरुरी है- नहीं तो महँगा पड़ेगा।' नरेन बोला। दिल इतना धड़कने लगा, पूरा हडबड़ा गया मैं। अगर नरेन मेरे साथ चलता तो अच्छा होता। लेकिन मैं इतना मूरख, मेरी आफत मैंने एक काल्पनिक दोस्त के माथे मढ दी थी। अब मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा। हिम्मत नहीं होती! आज सहमा हुआ-सा गाडीखाना क्लिनीक में पहुंचा। लेकिन बाहर जो गुरखा बैठा था, उसे देखकर ही लौट आया। मेरे कुछ दोस्त स्कदम निडर है। उन्हें ऐसा डर छूता तक नहीं। बड़े बिन्दास है वो। लेकिन मैं एक नंबर का डरपोक हूँ। आज कुछ शांति लग रही है। आखिर सोचा कि इस तरह बेचैनी में मन मसोसकर रहने से बेहतर है- जो कुछ होना है- हो जाने दो। हिम्मत बटोरकर गाडीखाना के 'नारी' क्लिनीक में पहुँचा। भीड़ नहीं थी। पाँच रुपये देकर केस पेपर निकालने के लिए बताया गया। जाली.नाम कहते वक्त जबान लड़खड़ाई। हाथ पाँव काँप रहे थें। डॉक्टर और काउन्सेलर्स अच्छी तरह से पेश आए। मेरे बारे में उन्होंने पूछा। बड़ी शरम लग रही थी लेकिन उन्होंने सब सँभाल लिया। कुछ भी उल्टा-सीधा पूछा नहीं, सुनाया नहीं। मैंने बता दिया कि एक पुरुष के साथ, दो हप्ते पहले मैंने पीछे से सेक्स किया था। शराब पीकर किया था, यह बात भी कह दी। डॉक्टर ने मेरा जख्म देखा और आधा घंटा रुकने के लिए कहा। जाँच के बाद डॉक्टर ने कहा, मुझे 'सॅक्रॉईड' गुप्तरोग हुआ है। दवाई से वह ठीक हो जाता है। एरिथोमायसिन का ४४... ...