पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/५६

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मैं समलिंगी हूँयह बात बता देने में शुरुमें बहुत शरम लगती थी। तब मैं बताया करता था कि मैं बायसेक्शुअल हैं। इसमें दो चाते थी-सक तो यह दर्शाने का अट्टाहास कि मैं इतना गया बीता नहीं हूँ और दूसरी बात यह कि समझ लो, आगे चलकर अगर शादी कर ली, तो पत्नी को धोखा देने का घच्छा नहीं लगेगा। मैंने मेरे बारे में राजेश को कुछ नहीं बताया। उसके बारे में पूछता रहा। उसने भी अपने विचार, अनुभव दिल खोलकर बता दिए। मैं उसे खदेडता रहा, भापता रहा। उसके अनुभव, विचार मेरे अनुभवों के साथ ताड़ता रहा। राजेश की मैं तो सराहना करुंगा। कितना हिम्मतवर है वो। मैं इस तरह खुलकर बोलने का ढाडस कभी न कर सकूँगा। यह साहस मुझमें अगले पांच साल में ही मिलनेवाला है, यह बात मुझे उस वक्त मालूम नहीं थी। अब मैं मुक्त मनसे सबको बता सकता हूं कि मैं समलिंगी हु। कह देने के लिए किसीने मुझपर जोर जबरदस्ती की नहीं, न किसी का दबाव पड़ा। लेकिन अब मैं खुद ही क्लोजेट में रहना (अपनी लैगिकता छिपाना) नहीं चाहता। उससे मुझे घुटन होती है। जीने के लिए जिस प्रकार साँस लेने की जरुरत होती है, ठीक उसी प्रकार अब मुझे आऊट रहने की आवश्यकता होती है। कल रात चैन की नींद सोया। कितने साल बीत गए, ऐसी शांत नींद मैं सोया नहीं था। फोन करके राजेश की अपॉईंटमेंट ली है। शनिचर को हम मिलेंगे। मैंने प्रश्नों की एक लिस्ट बनाना शुरु किया है। उसे भी मेरे लिए काफी समय निकाल ने के लिए कहा है। आज राजेश से मिला। दो घंटोतक बातचीत हुई। आज बहुत अच्छा लग रहा है। मन शांत हो गया है। राजेश को मेरा असली नाम बता दिया। उसने मुझे ऑफिस की लायब्ररी की कुछ किताबें दिखाई। समय रहते मैं उन्हें पढ़ने लगा हूँ। ऑफिस में पढ़ने के लिए जाता हूँ। बहुत सारी जानकारी मिल रही है। कुछ लिख लेता हूँ, कुछ झेरॉक्स करवाता हूँ। ४७ ...